बिट्टा कराटे या फारूक अहमद डार, बिट्टा कराटे कौन है ?, बिट्टा कराटे का इंटरव्यू (Bitta Karate, Farooq Ahmed Dar या Bitta Karate)
बिट्टा कराटे का असली नाम फारूक अहमद डार (Farooq Ahmed Dar) है जिसने 1990 कश्मीरी में हिन्दुओं के विरोध (इस्लामीकरण, जातीय सफाई, पाकिस्तान में विलय) में दंगे किये। कश्मीर में हुये इस दंगे में कश्मीरी हिंदू पंडितों की हत्या की थी। बिट्टा कराटे जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जम्मू और कश्मीर में एक अलगाववादी संगठन) के अध्यक्ष था। बिट्टा कराटे को कश्मीरी हिंदू पंडितों की हत्या के आरोप में सबसे पहले 1990 में गिरफ्तार किया गया था जो 2006 में जमानत पर रिहा हो गया था। 2019 में हुये पुलवामा हमले में बिट्टा कराटे को NIA ने टेरर फंडिंग के आरोप में दोबारा गिरफ्तार किया था जो अभी भी जेल में है।
बिट्टा कराटे कौन है ?
बिट्टा कराटे या फारूक अहमद डार (Farooq Ahmed Dar या Bitta Karate) एक पूर्व कश्मीरी अलगाववादी आतंकवादी है, जो कश्मीर घाटी में जेकेएलएफ (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जम्मू और कश्मीर में एक अलगाववादी संगठन)) के अध्यक्ष रूप में काम किया है। बिट्टा कराटे ने 1990 कश्मीर में हुये दंगो में कई कश्मीरी हिंदू पंडितों की हत्या के लिए कैमरे पर स्वीकार किया है। हालांकि बाद में बिट्टा कराटे ने दावा किया कि कश्मीरी पंडितों की हत्या का बयान उसने दबाव में आकर दिया था, जिसके कारण इसे जमानत मिल गई। बिट्टा कराटे को जमानत पर रिहा होने से पहले आतंकवाद से संबंधित आरोपों के तहत 1990 से 2006 तक जेल में रखा गया था। 2019 में हुये पुलवामा हमले में बिट्टा कराटे को NIA ने टेरर फंडिंग के आरोप में दोबारा गिरफ्तार किया था। इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा जेकेएलएफ (JKLF - यानी जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) को प्रतिबंधित कर दिया गया। जेकेएलएफ को प्रतिबंधित करने के बाद और कई अलगाववादीओं को देशविरोध में शामिल होने के आरोप में जेल भेज दिया गया।
बिट्टा कराटे के बारे में जानकारी
बिट्टा कराटे का जन्म 1 जनवरी 1973 में श्रीनगर के डार कबीले में एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार में हुआ था। बिट्टा कराटे (Bitta Karate) का असली नाम फारूक अहमद डार (Farooq Ahmed Dar) है। फारूक अहमद डार को "बिट्टा" बुलाते थे। बिट्टा मार्शल आर्ट में अच्छा होने के कारण उसके नाम के पीछे "कराटे" लगा दिया गया था। फारूक अहमद डार अपने पारिवारिक व्यवसाय करता था। फारूक अहमद डार कश्मीर की आजादी के नाम पर जिहाद सिखाया जिसके बाद 1988 में बिट्टा आतंकवादी बनने के लिए पाकिस्तान चला गया और वहां पर बिट्टा ने मार्शल आर्ट और बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली। बिट्टा कराटे पाकिस्तान से अपनी ट्रेनिंग पूरी करके जेकेएलएफ में शामिल हो गया, वहां पर फारूक अहमद डार और बाकि के साथिओं के मन में इस बात को घुसाया गया कि गैर मुस्लिम लोग कश्मीर में नहीं रह सकते। बिट्टा कराटे ने जेकेएलएफ (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जम्मू और कश्मीर में एक अलगाववादी संगठन)) के अध्यक्ष रूप में काम किया है। जेकेएलएफ (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जम्मू और कश्मीर में एक अलगाववादी संगठन)) और इस्लामिक उपद्रवियों ने 1990 में कश्मीरी हिन्दुओं के विरोध (इस्लामीकरण, जातीय सफाई, पाकिस्तान में विलय) में दंगे किये। इन दंगों में बिट्टा कराटे उग्रवाद के दौरान कुख्यात हो गया था।
बिट्टा कराटे का इंटरव्यू
बिट्टा कराटे से इंटरव्यू के दौरान (Bitta karate Interview) पूछा गया कि था की उसने कितने लोगों की हत्याएं की, तो बिट्टा कराटे एकदम सहज होकर अपने इंटरव्यू में कहता है कि उसने 10-12 लोगों को मारा होगा। बिट्टा कराटे से फिर से पूछा जाता है कि 10-12 या 20 लोग, उस पर बिट्टा कराटे बोलता है कि हां हो सकता है 20-30 लोग मारे हों। इसके बाद बिट्टा कराटे से एक और सवाल पूछा जाता है कि अगर आपको आदेश देने वाले लोग यह कहें कि आप अपने भाई को मार दो तो क्या मार दोगे। इसके जवाब में बिट्टा कराटे बोलता है कि हां मार देता। इसके बाद पूछा जाता है कि अपनी मां को, तब बिट्टा बोलता है कि हाँ उनको भी मार देता।
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