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कौन थी "गिरिजा टिक्कू" ?

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गिरिजा टिक्कू एक कश्मीरी हिन्दू महिला थी। गिरिजा टिक्कू जम्मू - कश्मीर राज्य के बारामूला जिले के गाँव अरिगाम (वर्तमान में बांदीपोरा) में रहती थी। गिरिजा वहाँ के एक स्कूल में लैब सहायिका का काम करती थी।

19 जनवरी 1990 कश्मीर में क्या हुआ था ?

कश्मीर में इस्लामिक आतंकियों (पाकिस्तानी आतंकवाद) ने वहाँ के मुस्लिम लोगों को हिन्दुओं के खिलाफ भड़का कर दंगे कराये। कश्मीर में हुये दंगों में आतंकियों ने हिन्दुओं को मारा - पीटा, हिन्दुओं की हत्या की, और हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार किया। कश्मीर घाटी में हुये इन दंगों के कारण वहाँ के सभी हिन्दुओं (कश्मीरी हिन्दू) ने पलायन कर लिया। 19 जनवरी 1990 से कश्मीर में हिंदुओं का पलायन शुरू हुआ था, इस पलायन में सभी कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर छोड़ना पड़ा। इन दंगों में आतंकिओं ने सबसे पहले हिन्दुओं में मुख्य लोगों को अपना निशाना बनाया उसके बाद सभी हिन्दुओं के साथ भी वही किया।

गिरिजा टिक्कू के साथ क्या हुआ था ?

19 जनवरी 1990 कश्मीर में हिंदुओं का पलायन शुरू हुआ था इस पलायन में एक ऐसी भी घटना घटी थी जिसने सभी हिन्दुओं को हिलाकर रख दिया था। यह घटना गिरिजा टिक्कू नाम की एक महिला के साथ हुई थी।

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गिरिजा टिक्कू उस समय बांदीपुरा के एक स्कूल में लैब सहायिका का काम करती थी। लेकिन कश्मीर में हुये पलायन में उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा था। पलायन के कुछ समय बाद जून 1990 में उनके एक सहयोगी ने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों को वेतन (सैलरी) मिल रहा है, और अब यहां का माहौल भी शांत है तो आकर अपना वेतन (सैलरी) ले सकती हैं। गिरिजा टिक्कू सैलरी लेने के बाद उसी गाँव में अपनी एक सहकर्मी से मिलने उसके घर चली गई। मुस्लिम आतंकियों ने उस पर नज़र रखी हुई थी। 11 जून 1990 में मुस्लिम आतंकवादियों ने वापस आते समय गिरिजा जिस बस में थी उसे रोक लिया और सभी के सामने उसका अपहरण कर लिया, आतंकियों के भय से किसी ने भी उन्हें रोकने का साहस नहीं किया।

आतंकियों ने गिरिजा टिक्कू का अपहरण कर उसके साथ कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया और बहुत बर्बरता भी की। आतंकियों ने कश्मीरी हिंदुओं के बीच डर बैठाने के लिये गिरिजा टिक्कू का बलात्कार करने के बाद उसे जिंदा आरा मशीन में रखकर दो टुकड़ों में काट दिया था।

25 जून 1990 को गिरिजा का शरीर बांदीपुरा की एक सड़क के किनारे दो टुकड़ों में कुत्तों के खाने के लिए फेंक दिया था। गिरिजा टिक्कू आतंकियों की नजर में काफिर थी, इसलिए गिरिजा को उन्होंने क्रूरता से मार दिया और साथ ही आतंकियों ने उसके अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत नहीं दी।


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