शख़्सियत अच्छी होगी तभी लोग उसमें बुराइयाँ खोजेंगे,
वरना बुरे की तरफ़ देखता ही कौन है?
वरना बुरे की तरफ़ देखता ही कौन है?
चाय में शक्कर नही तो पिने में क्या मजा और
Life में Friends नहीं तो जीने में क्या मजा
Life में Friends नहीं तो जीने में क्या मजा
*इस कदर जो आपको समझा रहा हूँ मैँ !*
'''यूं समझ लो, कि कोई रिश्ता बना रहा हूँ मैँ !!'''
*ना कोई स्वार्थ है मेरा और ना स्वार्थी हूँ मैँ,*
'''बस अपने हिंदु धर्म की रक्षा करने वालो की तादात बढ़ा रहा हूँ मैँ।।'''
'''यूं समझ लो, कि कोई रिश्ता बना रहा हूँ मैँ !!'''
*ना कोई स्वार्थ है मेरा और ना स्वार्थी हूँ मैँ,*
'''बस अपने हिंदु धर्म की रक्षा करने वालो की तादात बढ़ा रहा हूँ मैँ।।'''
'Hum' bhi vahi hote hai...
'Riste' bhi vahi hote hai...
Or
'Raste' bhi vahi hote hai...
Badlta hai.. to bas..
'SAMAY'. 'EHSAS'. or 'NAJRIA'
'Riste' bhi vahi hote hai...
Or
'Raste' bhi vahi hote hai...
Badlta hai.. to bas..
'SAMAY'. 'EHSAS'. or 'NAJRIA'
पलक झुका कर सलाम करते है,
दिल की दुआ आपके नाम करते है,
कबुल हो अगर तो मुस्कुरा देना,
हम यह प्यारा सा दिन आपके नाम से शुरूआत करते है
दिल की दुआ आपके नाम करते है,
कबुल हो अगर तो मुस्कुरा देना,
हम यह प्यारा सा दिन आपके नाम से शुरूआत करते है
रिश्ता बहुत गहरा हो या न हो
परन्तु भरोसा
बहुत गहरा होना चाहिये..
गुरु वही श्रेष्ठ होता है
जिसकी प्रेरणा से
किसी का चरित्र बदल जाये
और मित्र वही श्रेष्ठ होता है
जिसकी संगत से रंगत बदल जाये..✍
परन्तु भरोसा
बहुत गहरा होना चाहिये..
गुरु वही श्रेष्ठ होता है
जिसकी प्रेरणा से
किसी का चरित्र बदल जाये
और मित्र वही श्रेष्ठ होता है
जिसकी संगत से रंगत बदल जाये..✍
सच्चाई के इस जंग मे ,
कभी झूठे भी जीत जाते है..
समय अपना अच्छा न हो तो ,
कभी अपने भी रूठ जाते है..
कच्चे मकान देखकर किसी से
रिश्ता ना तोडना क्योंकि
मिट्टी की पकड बहुत मजबूत होती है
और संगमरमर पर तो अक्सर पैर फिसल जाते हैं
कभी झूठे भी जीत जाते है..
समय अपना अच्छा न हो तो ,
कभी अपने भी रूठ जाते है..
कच्चे मकान देखकर किसी से
रिश्ता ना तोडना क्योंकि
मिट्टी की पकड बहुत मजबूत होती है
और संगमरमर पर तो अक्सर पैर फिसल जाते हैं
" लब्ज़ ही ऐसी चीज़ है
जिसकी वजह से इंसान
या तो दिल में उतर जाता है
या दिल से उतर जाता है "
ज़िन्दगी के इस कश्मकश मैं
वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ ,
लेकिन वक़्त का बहाना बना कर ,
अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता !
जहाँ याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है ,
पर जहाँ से अपने ना दिखे
वो ऊंचाई किस काम की .
जिसकी वजह से इंसान
या तो दिल में उतर जाता है
या दिल से उतर जाता है "
ज़िन्दगी के इस कश्मकश मैं
वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ ,
लेकिन वक़्त का बहाना बना कर ,
अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता !
जहाँ याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है ,
पर जहाँ से अपने ना दिखे
वो ऊंचाई किस काम की .
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